अरब देश क्यों खामोश हैं, फिलिस्तीन को लेकर
अरब देश क्यों खामोश हैं, फिलिस्तीन को लेकर, क्या कूटनीति है इसे पढ़ें समझ जायेंगे आप।
मैं फिलिस्तीन पर कुछ लिखना नहीं चाहता था, न आप लोग समझेंगे, सिर्फ स्टेटस लगा देने से और कूटनीति में फर्क होता है, जिस इंटरनेट पर बैठ कर तुम फिलिस्तीन को लेकर अरब को गाली दे रहे हो वो तुम्हारी बेवकूफी है।
अरब देश क्यों खामोश हैं, फिलिस्तीन को लेकर, क्या कूटनीति है इसे पढ़ें समझ जायेंगे आप।
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पहली बात तो यह है कि जब आप अरब को गाली दे रहे होते हैं की फिलिस्तीन को लेकर अरब खामोश हैं इनसे कुछ नहीं होगा, तो आप को यह बात भी ध्यान में रखना चाहिए कि अरब इजराइल से 6 जंग लड़ चुका है, हासिल किया हुआ घंटा, और घंटा क्यों हासिल हुआ यह शायद आप लोग जानना नहीं चाहते या तुम में समझ नहीं है समझने की, या फिर आप बेवकूफ हैं।
घंटा क्यों हासिल हुआ इसे भी बता दे रहे हैं, अरब इजराइल की 6 जंग हुई और सारी जंग अरब हार गई, क्योंकि अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा सुरु से इजराइल के साथ में थे और हैं, अरब रासियन हथियार से लड़ रहे थे वही इजराइल अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा के टेक्नोलॉजी से लैस हथियार से लड़ रहा था, यह तो किंग फैसल की कूटनीति थी जो आज सीरिया, लबनान और मिस्र इजराइल के चंगुल में नहीं है वरना इजराइल ने इनकी काफी जमीनों पर कब्जा कर चुका था, जो किंग फैसल की कूटनीति की वजह से कब्जा वाली जमीन को खाली करना पड़ा इजराइल को।
और अगर आप सोचते हैं की अभी अरब क्या कर रहे हैं फिलिस्तीन को लेकर तो थोड़ा भारतीय न्यूज छोड़ कर दुनिया भर की न्यूज पढ़ा करें, क्योंकि इससे आप को सही जानकारी मिलेगी।
अरब क्या कर रहे हैं फिलिस्तीन को लेकर यह सवाल हमारा भी था अरब से लेकिन ये सवाल सिर्फ 3 दिन पहले तक था अब नहीं है, बताएं क्यों? क्योंकि 2 दिन पहले रियाद में अरब और ऑर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कॉरपोरेशन (OIC) 57 देशों की मीटिंग थी इस मीटिंग में बड़े ही अहम प्रस्ताव पेश किए गई लेकिन किसी मुस्लिम देश ने ऐसा करने से पीछे हट गई की इजराइल से खुली दुश्मनी नहीं लेंगे।
प्रस्ताव में दो सबसे अहम प्रस्ताव पारित किए गई थे इक ईरान की तरफ से प्रस्ताव पेश किया गया था की इजराइल की पूरी सेना को आतंकी घोषित कर दिया जाए, दूसरा सीरिया ने प्रस्ताव पेश किया की इजराइल से सारे मुस्लिम देश राजनीतिक संबंध खत्म कर दे, लेकिन इसमें कई सारे मुस्लिम देश अब्सेंट कर गई, यानी अक्सरियत नहीं हुई आधे से ज़्यादा मुस्लिम देश इजराइल से दुश्मनी नहीं लेना चाहते, वही वाला हाल यहां भी हुआ जो मुस्लिम कौम एक ईद के चांद पर मुत्ताहित नहीं हो पाती है वही हाल यहां हो गया मुस्लिमो के साथ जब मुस्लिम देश ही साथ नहीं थे यह काम करने में।
इतना पैसा खर्च करने के बाद यह सबसे बड़ी मीटिंग थी OIC और अरब की लेकिन यह मीटिंग बेकार रही अरब मुंह झुका के फिर बैठ गई, लेकिन इस मीटिंग में इक बात अच्छी लगी OIC के चेरमैन मोहम्मद बिन सलमान ने कहा इजराइल को गाजा में बमबारी की भारी कीमत चुकानी होगी।
रही जंग की बात तो अरब सारे वैसे भी सरेंडर हैं, क्योंकि 6 बार इजराइल से हारने के बाद क्या करेंगे जंग कर के मक्का मदीना से भी हुकूमत चली जाए क्या? न अरब के पास हथियार हैं न अरब का कोई साथ देता है, जब तक अमेरिका इजराइल के साथ है तब तक कुछ सोचना भी नहीं की इजराइल का कोई कुछ बिगाड़ लेगा, और हां अभी अमेरिका ने कह दिया है की इजराइल के खिलाफ UN में कोई भी प्रस्ताव पारित हुआ तो वह बीटो का इस्तेमाल करेगा।
अमेरिका का हाथ हट जाए तो उसे गाजा के लोग ही खत्म कर देंगे 24 घंटे में, इजराइल के पास कुछ हे नहीं लेकिन उससे डरते क्यों हैं लोग, इजराइल अब कोई मामूली देश नहीं अब यह दुनिया का बड़ा ही खतरनाक देश बन चुका है मालूम है क्यों?
यह थोड़े से उद्धरण बता दे रहे हैं इन्हें गूगल पर सर्च करना और पढ़ लेना
हिंडन बुर्ग, ब्लॉमबर्ग, इनका नाम सुना है? यह अगर इक आर्टिकल लिख दे तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था गिर जाती है, वही हिंडन बुर्ग जिसने इक पोस्ट पर अडानी को दुनिया के इक नंबर से बिस्वे पायदान पर ला खड़ा किया था, और इनका मालिक यहूदी है, जिस फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप को इस्तेमाल करते हो वाह यहूदी का है, जिस एंड्रॉयड से मोबाइल चलता है जिसे इस्तेमाल कर रहे हो गूगल ये भी यहूदी का है, पेप्सी से लेकर जो आप सबसे महंगे ब्रांड के कपड़े देखते हो वह यहूदी का है, दुनिया का सबसे बड़े बड़े होटल हयात जैसे ये सारे यहूदी के हैं, यहूदियों ने दुनिया की नस पकड़ रखी है उन्हे पता है किसे कैसे कहा कब ठोकना है।
तो सोचिए करना क्या है