अखिलेश, ओवैसी से गठबंधन क्यों करें ?
ओवैसी कबूल क्यों नहीं ? इतनी बड़ी पार्टी के लिए अखिलेश यादव के पास कोई स्थान आखिर क्यूँ नहीं है

अखिलेश, ओवैसी से गठबंधन क्यों करें ?
आप के लिए सुर्खियाँ
आप के लिए चुनी गई खबरें
- Asaduddin Owaisi Ayodhya Visit : असदुद्दीन ओवैसी के पोस...
- इसे भी पढ़ें: फाइटर जेट मिराज का टायर चोरी, चोर टायर लेकर IAF स्टेशन पहुंचे, कहा गलती से ट्रक ...
- इसे भी पढ़ें: 1 सप्ताह में रेजीडेंसी, कार्य और सीमा सुरक्षा नियमों के 15,069 उल्लंघनकर्ताओं को...
- सुझाव: केवल 30 रुपये प्रति माह के लिए सर्वश्रेष्ठ होस्टिंग खरीदें यहां क्लिक करें
अखिलेश यादव ने असदुद्दीन ओवैसी के साथ राजनितिक गठबंधन से साफ मना कर दिया है। मुसलमानों में इस को लेकर नाराजगी है कि जब सपा सुप्रीमो तमाम छोटी पार्टियों से गठबंधन करने पर अमादा हैं तो फिर ओवैसी की पार्टी से गठबंधन करने से क्यों कतरा रहे हैं?
पहली नजर में देखा जाए तो सपा सुप्रीमों पर गुस्सा तो आता है मगर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सपा सुप्रीमों का ये निर्णय राजनीतिक चालाकी और सियासी ख़ुद गरज़ी का जीता जागता उदाहरण है।
आप सोच रहे होंगे ये कैसी चालाकी है जिसमें एक पार्टी ‘महान दल’ जिसकी जमीनी हैसियत कुछ नहीं। जितनी उसकी उम्र है उससे ज्यादा ओवैसी के पार्टी के पास देश के अलग अलग राज्यों से सासंद व विधायक हैं।
इतनी बड़ी पार्टी के लिए अखिलेश यादव के पास कोई स्थान आखिर क्यूँ नहीं है। आइए इसे आंकड़ों के जरिए समझने की कोशिश करते हैं। ताकि सपा सुप्रीमो के सियासी दांव पेंच से आप भी वाकिफ हो सकें।
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश में पचहत्तर (75) जिले है जिन में अस्सी (80) संसदीय और चार सौ तीन (403) विधानसभा क्षेत्र हैं। राजनीतिक समझ रखने वाले लोग अच्छे से जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति जात पात और मजहब के इर्द-गिर्द घूमती है इस लिए पहले यूपी का राजनीतिक गणित समझ लें।
Disclaimer
This post has been self-published. Vews.in neither endorses, nor is responsible for the views expressed by the author.. Profile .