गुजरात में भाजपा के चाणक्य का दाव उल्टा पड़ गया.
#BJP

गुजरात में भाजपा के चाणक्य का दाव उल्टा पड़ गया...!?
आप के लिए सुर्खियाँ
आप के लिए चुनी गई खबरें
- इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीरः महबूबा मुफ्ती ने जताया विश्वास, कहा- बहाल होगा अनुच्छेद 370 और 35A
- इसे भी पढ़ें: भारत में अगले साल पेश होंगी ये धांसू एमपीवी, शानदार परफॉर्मेंस से जीतेंगी ग्राहक...
- सुझाव: केवल 30 रुपये प्रति माह के लिए सर्वश्रेष्ठ होस्टिंग खरीदें यहां क्लिक करें
गुजरात में भाजपा की सरकार ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का इस्तीफा लेकर सारे के सारे मंत्रियो को घर का रास्ता दिखा दिया.
अब नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल को बिठाकर नए मंत्रियों की टीम बनाकर जनता के सामने पेश की गई है. पुराने जो मंत्री थे उसमे से एक भी मंत्री को नए मंत्रिमंडल में शामिल नही किया गया.
इस बात पर कुछ गोदी मीडिया के द्वारा ये साबित करने का प्रयास किया जा रहा है की जो व्यक्ति भाजपा में रहते मोदीजी के हिसाब से काम नही कर पाता उनको घर पर बिठा दिया जाता है. चाहे वो मंत्री हो या मुख्यमंत्री.
गुजरात भाजपा की प्रयोग शाला है, यहां जो सक्सेस गया वो मॉडल पूरे देश में लागू किया जा सकता है ऐसा भाजपाई और मोदी जी का कहना है.
पर इस बार बार कुछ और ही है..!
इसको समझने के लिए पहले से शुरू करना पड़ेगा..!
जिस दिन विजय रुपाणी का इस्तीफा आया उसके अगले दिन अमित शाह गुजरात आए थे और सब कुछ ( उसके हिसाब से) सेट कर गए थे. जैन के त्योहार संवत्सरी के दूसरे दिन विजय रुपाणी को इस्तीफा देना है.
कोई भी सूचना के बिना, किसी को भी भनक ना लगी, यहां तक की पत्रकारों के सोर्स भी काम नही आए, और अचानक विजय रुपाणी के इस्तीफे की खबर आई.
गुजरात की राजनीति में जैसे भूकंप आया हो ऐसा माहौल खड़ा हो गया. स्वाभाविक है, मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव तो आने वाला ही था. पुराने मंत्री को अपनी जमीन खिसकती दिखने लगी. अचानक मंत्रियों को अपनी अपनी ऑफिस खाली करने को कहा गया. गोदी मीडिया और सोशल मीडिया में अगले मुख्यमंत्री के नाम में नितिन पटेल को आगे दिखाया गया. उसके बाद तो कई नाम चलने लगे, सब अपने अपने हिसाब से नाम जोड़ते गए.
तब अचानक अहमदाबाद के घाटलोदिया के विधायक भूपेंद्र लटेल का नाम भाजपा द्वारा फाइनल किया गया. नितिन पटेल से लेकर कई मंत्री और नेताओ मे नाराजगी का दौर चला, मनाने की कोशिश हुई, शपथ ग्रहण के समय और दिन बदले गए. काफी कुछ हो गया.
कोंग्रेस के नेताओं ने तो महीनो पहले कहा था...!
कई महीनो से कोंग्रेस के नेताओ द्वारा स्टेटमेंट दिए जा रहे थे, की गुजरात के मुख्यमंत्री बदलने वाले है, तब खुद विजय रुपाणी के स्टेटमेंट आए थे की में अपना कार्यकाल पूर्ण करूंगा. गुजरात की सरकार में सब कुछ चंगा सी...!
असली खेल ये था....!
भाजपा और गोदी मीडिया द्वारा भाजपा के अमित शाह को चाणक्य का उपनाम दिया है, उसने अपने हिसाब से पूरी बाजी बिछाई थी.
क्योंकि गुजरात भाजपा के सूत्रो के हिसाब से भाजपा द्वारा गुजरात में आंतरिक सर्वे कराया गया था, उसमे गुजरात सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी थी, इसलिए आगामी चुनाव में भाजपा का जितना मुश्किल है. ये रिपोर्ट ऊपर जाने के बाद सब खेल दिल्ली से खेला गया.
खेल की समझिए...!
भाजपा ने सोच समझकर गुजरात में मुख्यमंत्री बदलने के साथ पूरा मंत्रिमंडल ही बदल दिया. ताकि पार्टी में रहकर जो विरोध कर सकते हैं, उनको भी पहचान सके और जातिवाद के ऊपर किस जाति में ज्यादा विरोध हो सकता है उनको भी शांत किया जा सके.
दूसरी बात: अगर कोई पुराना मंत्री या नेता विरोध करके कांग्रेस में जाकर सरकार बनाने की कोशिश करें तो उत्तर प्रदेश के साथ ही गुजरात में भी चुनाव करवाए जाए. भाजपा को लग रहा था कि गुजरात के नाराज मंत्रियों से कोंग्रेस संपर्क करेगी और सरकार बनाने का दावा करेगी, फिर अगर कोंग्रेस ये खेल खेलने में कामयाब हो जाती है तो अगले 6 महीने में ही चुनाव करवा दे.
पर ये हो न सका क्योंकि कोंग्रेस के किसी भी नेता ने ऐसा करने की सोचने की बात तो दूर, किसी में एक बार भी नही कहा की जिस मंत्री को भाजपा मंत्रिमंडल में नही ले रही तो वो कोंग्रेस के साथ आ जाए और हमसे मिलकर सरकार बनाए..!
अब भाजपा के पास कोई विकल्प ही नही रहा..!
चाणक्य के द्वारा बिछाई गई बाजी फेल हो गई, अब राजनीतिज्ञ भी सोच में पड़ गए है की होगा तो होगा क्या ??? उत्तरप्रदेश के चुनाव को लेकर किसान नेताओ ने तो पहले ही कह दिया है, हम भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे, ऊपर से योगी सरकार की कोरोना में नाकामी, गुंडा तत्व द्वारा जनता को परेशान किया जाना,बेटियो की सुरक्षा से लेकर कई तकलीफों से जनता परेशान है, इस विरोध के बीच अगर उत्तरप्रदेश में भाजपा की सीट कम होती है, और सरकार नही बनती तो उनका असर गुजरात पर भी दिखेगा इसमें कोई शंका नहीं.
क्योंकि गुजरात की जनता भी दो दशकों से ज्यादा समय से शासन कर रही भाजपा से ऊब चुकी है. ऊपर से कोरोना काल में रुपाणी सरकार की नाकामियाबी, मौत के आंकड़े छिपाना, बेरोजगारी, अस्पतालो में डॉक्टर की कमी, महंगाई आदि मुद्दे अभी भी सरकार के विरोध में खड़े है...!
इसलिए कहना पड़ रहा है, भाजपा के चाणक्य का दाव खुद की पार्टी के होम ग्राउंड गुजरात में ही उल्टा पड़ गया...?!!
#Kalpesh Raval
https://twitter.com/Ravalkalpesh_s
journalist
Disclaimer
Account Role
This article is posted by a reputable author, indicating that this account publishes content regularly and consistently. The content posted by this account is well-written and easily readable, making it enjoyable for readers. Profile